*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
आकुलता की आहट को समेटती कविता!
मन की अकुलाहट अपना गंतव्य पाने को तरसती है ... एक बूँद की आस ... गंगा जल की प्यास जो रहती है बाकी ... अच्छी रचना ...
Waah shweta ji...bahut khoob 👌👌👌
गहरी बात...कई बार पढ़कर कुछ मर्म समझ आता हैं,या हर बार नया भाव आता हैं।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/02/108.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
विरह वेदना और अकुलाहट से भरी रचना प्रिय श्वेता | शुभकामनायें और मेरा प्यार |
सुन्दर लेखन, संवेदनाओं को त्वरित करा गई ।बहुत-बहुत बधाई ।
आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है। शुक्रिया।
आकुलता की आहट को समेटती कविता!
ReplyDeleteमन की अकुलाहट अपना गंतव्य पाने को तरसती है ...
ReplyDeleteएक बूँद की आस ... गंगा जल की प्यास जो रहती है बाकी ... अच्छी रचना ...
Waah shweta ji...bahut khoob 👌👌👌
ReplyDeleteगहरी बात...
ReplyDeleteकई बार पढ़कर कुछ मर्म समझ आता हैं,
या हर बार नया भाव आता हैं।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/02/108.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteविरह वेदना और अकुलाहट से भरी रचना प्रिय श्वेता | शुभकामनायें और मेरा प्यार |
ReplyDeleteसुन्दर लेखन, संवेदनाओं को त्वरित करा गई ।बहुत-बहुत बधाई ।
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