पत्थर की सतह पर
लाजवन्ति के गमले केे पीछे
गालों पर हाथ टिकाये
पश्चिमी आसमां के बदलते रंग में
अनगिनत कल्पनाओं में विलीन
निःशब्द मौन साँझ की
दस्तक सुनती हूँ
पीपल के ऊपरी शाखों से फिसलकर
मेरे चेहरे और बालों तक
पहुँचकर मुझे छूने का
असफल प्रयास करती
बादलों की बाहों में छुपकर
मुझे निहारती एकटुक गुलाबी किरणें
धीरे-धीरे बादलों की लहरों में डूब गयी
आसमां से निकलकर
बिखर गया एक अजब-सा मौन
छुपी किरणें बादलों के साथ मिलकर
बनाने लगी अनगिनत आकृतियां
गुलाबी पगड़डियाँ,पर्वतों से निकलते
भूरे झरने, सूखे बंजर,सफेद खेत
सिंदुरी समन्दर,
हल्के बैंगनी बादल खोलने लगे
मन के स्याह पिटारों को
सुर्ख मलमल पर सोयी
फड़फड़ाने लगी सुनहरी तितलियाँ
और निकलकर बैठ गयी
मौन शाम के झिलमिलाते मुंडेरों पर
कतारबद्ध मुँह झुकाये चुपचाप
स्याह साँझ में चमकीला रंग घोलती
बेला-सी महकती
मन आँगन में
संध्या दीप जलाती
मौन साँझ में खिलखिलाती
झर-झर झरती
एहसास की
आकुल रश्मियाँ
#श्वेता सिन्हा
वाह
ReplyDeleteप्राकृति के हर रंग को गूंथ कर गहरे एहसास की नाज़ुक रश्मियों के साथ पिरो दिया है ... बहुत ही सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteवाह !बहुत सुन्दर श्वेता जी
ReplyDeleteसादर
कंहा निशिगंधा महका
ReplyDeleteबांसती सी महक उड़ उड़ आई
क्या नंदन बन महका
या कविता से सौरभ छाई।
वाह श्वेता ¡
अप्रतिम ¡पवन के हिण्डोले पर झूलती सरस रचना।
एहसास की आकुल रश्मियाँ और प्रकृति की सजीव चित्रात्मकता बहुत ही मनभावन है प्रिय श्वेता |नाज़ुक से एहसास मन को स्पर्श करते हैं | सस्नेह शुभकामनायें और प्यार |
ReplyDeleteआपके अंदाज व आकर्षक शैली में पिरोई सुंदर रचना। शुभकामनाएं स्वीकार करें ।
ReplyDeleteवा...व्व...बहुत ही सुंदर रचना, श्वेता दी।
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना
ReplyDelete
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (6-04-2019) को " नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं " (चर्चा अंक-3297) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
अनीता सैनी
प्रकृति पर मनोरम सृजन श्वेता जी ।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" l में लिंक की गई है। https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/04/116.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना 👌
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 मार्च 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह !श्वेता ,बहुत खूबसूरत सृजन ।
ReplyDeleteस्याह साँझ में यूँ ही चमकीले रंग भरते रहें ,मन के दीप भी मन आँगन में जलते रहें , मौन संध्या में एहसास की रश्मियाँ खिलखिलाती रहें और तुम ठोड़ी हथेली पर टिका सोचते हुए बस लिखती रहो । सुंदर चित्रण
ReplyDeleteलाज़बाब.... संगीता जी सादर नमन
Deleteप्रकृति की मनोरम छटा का सुंदर चित्रण ,सादर नमन
ReplyDeleteबहुत सुंदर मनभावन चित्रण..
ReplyDeleteसुकोमल एहसासों से सजा शब्द चित्र। एक बार फिर पढ़ अच्छा लगा प्रिय श्वेता। शुभकामनाएँ और बधाई।
ReplyDeleteहर एक की तरह ये भी बहुत अच्छी और चित्र खिंचती हुई रचना।
ReplyDeleteप्रकृति का मन-भावन मनोरम दृश्य
जब भी पढ़ो मन में अनुराग जगाती सुंदर रचना।
ReplyDeleteआदरणीया मैम ,
ReplyDeleteएक खूबसूरत शाम का बहुत सुंदर वर्णन। सच , अस्त होते सूर्य की किरणे जब बादलों पर अपनी लालिमा बिखेरतीं हैं तो बहुत ही सुंदर दृश्य होता है। आपकी यह रचना इतनी सुंदर अनुभूतियों से भरी हुई है की मन अपने आप शांत और आनंदित हो जाता है।
एक बहुत ही प्यारी शाम में एकांत का अनुभव।
सुंदर रचना के लिए अत्यंत आभार।