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Monday, 27 May 2019

तुम हो तो...


तुम हो तो तार अन्तर के
गीत मधुर गुनगुनाती है
प्रतिपल उठती,प्रतिपल गिरती
साँसें बुलबुल-सी
फुदक-फुदककर शोर मचाती है।

बिना छुए सपनों को मेरे
जीवित तुम कर जाते हो
निर्धूम सुलगते मन पर
चंदन का लेप लगाते हो
शून्य मन मंदिर में रूनझुन बातें
पाजेब की झंकार
रसीली रसधार-सी मदमाती है।

मन उद्विग्न न समझे कुछ
प्राणों के पाहुन ठहर तनिक
विरह पंक में खिलता महमह
श्वास सुवास कुमुदिनी मणिक
आस-अभिलाष की झलमल ज्योति
बाती-सी मुस्काती
उचक-उचककर चँदा को दुलराती है।

हिय सरिता की बूँद-बूँद
तुझमें विलय करूँ आत्मार्पण
तू ही ब्रह्म है तू ही सत्य बस
तुझको मन सर्वस्व समर्पण
जीवन की रिक्त दरारों में अमृत-सी
टप-टप,टिप-टिप 
संजीवनी मन की तृषा मिटाती है।

#श्वेता सिन्हा

18 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार मई 28, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. वाहः
    बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  3. बेहद खूबसूरत रचना

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  4. बहुत ही लाजवाब

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  5. वाह !! अत्यंत सुंदर अभिव्यक्ति👌👌👌👌

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  6. वाह!!श्वेता, अद्भुत!!

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  7. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-05-2019) को "प्रतिपल उठती-गिरती साँसें" (चर्चा अंक- 3349) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  8. मन के कलम से मन के कागज़ पर ... मन की बात मन तक .. बहुत ही मनस्पर्शिय रचना ... कुछ रचनाएँ अंतर्मन से झरने की तरह बह कर सोशल साइट्स के सागर में आ मिलती हैं...

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  9. बहुत सुन्दर श्वेता !
    कई दिनों से तुम्हारी काव्य-सुधा के पान से वंचित थे. आज मन को तरावट मिली है.

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  10. बहुत सुन्दर सखी
    सादर

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  11. बिना छुए सपनों को मेरे
    जीवित तुम कर जाते हो
    निर्धूम सुलगते मन पर
    चंदन का लेप लगाते हो
    बहुत सुंदर भाव ...,लाज़बाब

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  12. बिना छुए सपनों को मेरे
    जीवित तुम कर जाते हो
    निर्धूम सुलगते मन पर
    चंदन का लेप लगाते हो
    शून्य मन मंदिर में रूनझुन बातें
    पाजेब की झंकार
    रसीली रसधार-सी मदमाती है।
    बहुत भाव पूर्ण पंक्तियाँ प्रिय श्वेता !!!!!! सस्नेह शुभकामनायें |

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  13. वाह वाह श्वेता हमेशा की तरह लाजवाब बहुत सुंदर भाव गहरे उतरते।
    विस्मयकारी उपलब्धि।

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  14. सुन्दर भाव अभिव्यक्ति

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  15. अहा अतिसुन्दर ...

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  16. बहुत खूबसूरत श्वेता ❤️

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  17. चंदन का लेप लगाते हो
    बहुत सुंदर भाव ...,लाज़बाब

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।