Pages

Tuesday, 11 June 2019

कितने जनम..

रह-रह छलकती ये आँखें है नम।
कसमों की बंदिश है बाँधे क़दम।।

गिनगिन के लम्हों को कैसे जीये,
समझो न तुम बिन तन्हा हैं हम।

सजदे में आयत पढ़े भी तो क्या,
रब में भी दिखते हो तुम ही सनम।

सुनो, ओ हवाओं न थामो दुपट्टा,
धड़कन को होता है उनका भरम।

मालूम हो तो सुकूं आये दिल को,
तुम बिन बिताने है कितने जनम।

ज़िद में तुम्हारी लुटा आये खुशियाँ,
सिसकते है भरकर के दामन में ग़म।

 #श्वेता सिन्हा


19 comments:

  1. वाह उम्दा /बेहतरीन /बेमिसाल।
    सच बहुत ही सुंदर श्वेता।

    ReplyDelete
  2. वाह क्या बात.... श्वेता एक और शेर लिख दो तो पूरी ग़ज़ल बन जाए

    ReplyDelete
  3. बेमिसाल...
    सादर.

    ReplyDelete
  4. इतना बढ़िया लेख पोस्ट करने के लिए धन्यवाद! अच्छा काम करते रहें!। इस अद्भुत लेख के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete
  5. सुनो, ओ हवाओं न थामो दुपट्टा,
    धड़कन को होता है उनका भरम।
    ज़िद में तुम्हारी लुटा आये खुशियाँ,
    सिसकते है भरकर के दामन में ग़म।
    दूर हो जाने की विवशता के साथ मन में छिपे अप्रितम प्रेम और दूर होकर भी पास होने के भ्रम को बड़ी ही नज़ाकत से शब्दों में पिरोया है प्रिय श्वेता तुमने | बेहतरीन सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनायें | सस्नेह --

    ReplyDelete
  6. बेहतरीन रचना श्वेता जी

    ReplyDelete
  7. सुनो, ओ हवाओं न थामो दुपट्टा,
    धड़कन को होता है उनका भरम।
    वाह !!! बहुत खूब श्वेता जी

    ReplyDelete
  8. वाह!! लाजवाब सृजन!!

    ReplyDelete
  9. बहुत त सुंदर रचना

    खास तौर से...

    सुनो, ओ हवाओं न थामो दुपट्टा,
    धड़कन को होता है उनका भरम।

    आभार

    ReplyDelete
  10. वाह !बेहतरीन दी जी
    सादर

    ReplyDelete
  11. बहुत खूब ...
    अच्छे शेर बुने हैं श्वेता जी ... अलग अंदाज़ बहुत अच्छा लग रहा है आपका ...

    ReplyDelete
  12. बहुत खूब लिखा है आपने!!!
    शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !

    ReplyDelete
  13. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 29 एप्रिल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  15. गिनगिन के लम्हों को कैसे जीये,
    समझो न तुम बिन तन्हा हैं हम।
    सुंदर!

    ReplyDelete
  16. सजदे में आयत पढ़े भी तो क्या,
    रब में भी दिखते हो तुम ही सनम।
    वाह!!!!
    क्या बात.....
    बहुत ही लाजवाब।

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।