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Friday, 16 August 2019

इच्छा


आसान कुछ भी कहाँ होता है
मनमुताबिक थोड़ी जहां होता है
मात्र "इच्छा"करना ही आसान है 
इच्छाओं की गाँठ से मन बंधा होता है 

आसान नहीं होता प्रेम निभा पाना
प्रेम में डूबा मन डिगा पाना
इच्छित ख़्वाबों की ताबीर हो न हो
रंग तस्वीरों का अलहदा होता है

आसान होता है करना मृत्यु की इच्छा
और मृत्यु की आस में जीने की उपेक्षा
अप्राप्य इच्छाओं की तृष्णा से विरक्त
जीवन वितृष्णाओं से भुरभुरा होता है

हाँ,इच्छाओं को बोना आसान होता है
इच्छा मन का स्थायी मेहमान होता है
ज़मी पर भावनाओं की पर्याप्त नमी से
इच्छाओं का अंकुरण सदा होता है।

#श्वेता सिन्हा

19 comments:

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    1. बहुत बहुत आभार दी सादर शुक्रिया।

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  2. "मन में भावनाओं की पर्याप्त नमी से
    इच्छाओं का अंकुरण सदा होता है।"... फिर...
    आशाओं की हवा से पल्लवित होता है,
    भरोसे की नर्म धूप से पुष्पित होता है ..

    इच्छाओं के झूला पर ऊपर-नीचे दोलन करती ज़िंदगी की तस्वीर ...

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    1. रचना का भाव स्पष्ट करती सुंदर प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार आपका शुक्रिया बहुत सारा मध से।

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  3. प्रकृति और प्रेम की चितेरी श्वेता का दार्शनिक रूप भी सुन्दर है.

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  4. आसान कुछ भी कहाँ होता है
    मनमुताबिक थोड़ी जहां होता है
    बेहतरीन शुरुआत..
    सादर..

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  5. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 16/08/2019 की बुलेटिन, "प्रथम पुण्यतिथि पर परम आदरणीय स्व॰ अटल बिहारी वाजपाई जी को नमन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. सुन्दर प्रस्तुति

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  7. अति सुंदर रचना।

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  8. जीवन तृष्णाओं से भुरभुरा होता है - सत्य वचन।

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  9. आसान होता है करना मृत्यु की इच्छा
    और मृत्यु की आस में जीने की उपेक्षा
    अप्राप्य इच्छाओं की तृष्णा से विरक्त
    जीवन वितृष्णाओं से भुरभुरा होता है....
    सुंदर और सशक्त लेखन । शुभकामनाएं स्वीकार करें ।

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  10. वाह आदरणीया दीदी जी अद्भुत,सुंदर
    ' इच्छा ' एक एसी प्यास जो कभी नही बुझती
    सादर नमन

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  11. बहुत सुंदर रचना

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  12. इच्छाओं के मनोविज्ञान को पात्र दर पात्र खोलती है आपकी रचना ...
    आसान है हर इच्छा पालना ... ये कभी किसी उम्र में नहीं रोकती ... लाजवाब भावपूर्ण रचना है ...

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  13. आशाओं की हवा से पल्लविल होता है।
    भरोसे के नर्म धूप से पुष्पित होता है।
    वाह।बहुत सुंदर पंक्तियाँ।बेहतरीन।

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  14. आसान होता है करना मृत्यु की इच्छा
    और मृत्यु की आस में जीने की उपेक्षा
    अप्राप्य इच्छाओं की तृष्णा से विरक्त
    जीवन वितृष्णाओं से भुरभुरा होता है
    वाह!!!!
    अप्राप्य इच्छाओं की तृष्णा से विरक्त
    बहुत ही लाजवाब दार्शनिक भाव लिए
    उत्कृष्ट सृजन

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  15. लाजवाब व भावपूर्ण रचना.. बेहतरीन सृजन श्वेता ।

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  16. वाह!!श्वेता ,सुंदर भावों से सजी रचना !

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।