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Friday, 2 August 2019

#मन#

क्षणिकायें
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जब भी तुम्हारे एहसास
पर लिखती हूँ कविता
धूप की जीभ से
टपके बूँदभर रस से
बनने लगता है इंद्रधनुष।

सरसराती हवा में 
तुम्हारे पसीने की गंध
जब घुलती है
बुलबुल की चोंच में
दबी फूलों की महक से
मौसम हो जाता है गुलनार।

तुम्हारे स्वर के
आरोह-अवरोह पर
लिखे प्रेम-पत्र
तुम्हारी रुनझुनी बातें
हवा की कमर में खोंसी
पवनघंटियों-सी
गुदगुदाती है 
शुष्क मन के
महीन रोमछिद्रों को।

#श्वेता सिन्हा

"विह्वल हृदय धारा" साझा काव्य संकलन पुस्तक में 
प्रकाशित।

18 comments:

  1. वाह श्वेता जी बहुत खूबसूरत में आपने भावों को पिरोया है . बहुत खूब

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  2. मन के सम्पूर्ण समर्पण भाव से भरी गहरी रचना प्रिय श्वेता जिसमें बिम्ब विधान सुंदर है एकदम तुम्हारी अपनी शैली का | सस्नेह शुभकामनायें भावपूर्ण सृजन के लिए

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    1. वाकई, अहसासों का अनहद आह्लाद!

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  3. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    04/08/2019 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  4. सरसराती हवा में
    तुम्हारे पसीने की गंध।
    वाााह!
    बेहतरीन...
    लाजवाब...

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  6. सुन्दर रचना

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  7. प्रेम के जितने भी अहसास हैं सब अमर हैं..
    और उसी अहसास में आपकी ये कविता भी शामिल हैं.

    लाजवाब कविता है.. वाकई में.

    पधारें- कायाकल्प 

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  8. वाह ... बहुत ही खूबसूरत और अलग अंदाज़ के बिम्ब ले कर गहरे प्रेम के एहसास से रची रचना ... बहुत बधाई ...

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  9. कल्पनाशीलता का कोई जवाब नहीं। अद्भूत हैं आप श्वेता दी!!

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  10. सरसराती हवा में
    तुम्हारे पसीने की गंध।
    वाााह!
    बेहतरीन...
    अद्भूत लाजवाब...

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  11. अन्तस् का वास्तविक प्रेम दृष्टिगोचर होता नहीं लेकिन आज देख रहा हूँ एक क्षणिका में। साधुवाद

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  12. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 29 एप्रिल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  13. वाह!श्वेता ,मन खुश हो गया ,मन पढकर ।

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  14. बहुत बढ़िया

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  15. हवा की कमर में खोंसी
    पवनघंटियों-सी
    गुदगुदाती है
    शुष्क मन के
    महीन रोमछिद्रों को।
    अद्भुत विम्बों सेसजी लाजवाब प्रस्तुति
    वाह!!!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।