सुनो! हे सृष्टि के अदृश्य भगवान
अरजी मेरी,कामना तुच्छ तू मान
अस्तित्वहीन चिरनिद्रा में सो जाऊँ
जागूँ धरा पर बनकर नवल विहान
बर्फ,ठिठुरती निशा प्रहर
कंपकपाते अनजान शहर
धुंध में खोये धरा-गगन के पोर
सूरज की किरणों से बाँधूँ छोर
सर्द सकोरे भरूँ गुनगुनी घाम
मलिन मुखों पे मलूँ नवल विहान
सूखती टहनी,बंजर खेत
भूख से आकुल नन्हे पेट
बनूँ बीज हरियाऊँ धरती कोख
चंचल धारा,बरखा की बूँदें शोख
दुःख के अधरों की मीठी मुस्कान
तृप्ति स्वप्न नयन धरूँ नवल विहान
जाति धर्म के बेतुके झगड़े
राजनीति के प्रपंची रगड़े
हृदय बसूँ मानवता बनकर
प्रेम के पुष्प ईष्या से छनकर
एकसूत्र संस्कृति के गूँथूँ नेह वितान
बंधनहीन धरा पर लाऊँ नवल विहान
बंधनहीन धरा पर लाऊँ नवल विहान
#श्वेता सिन्हा
३/१/२०२०
३/१/२०२०
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०४-०१-२०२०) को "शब्द-सृजन"- २ (चर्चा अंक-३५८०) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत-बहुत आभारी हूँ प्रिय अनु।
Deleteसस्नेह शुक्रिया।
वाह बेहतरीन।सुंदर प्रा्र्थना।
ReplyDeleteबहुत आभारी हूँ दीदी।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर प्रार्थना,श्वेता दी।
ReplyDeleteजी बहुत आभारी हूँ दीदी।
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 04 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत आभारी हूँ दी।
Deleteसादर
Sunder rachna...hamesha ki tarah. Par har bar kuch Nye aayam ke sath aap Dil ko chhu jati hai.
ReplyDeleteआभारी हूँ चंचल जी।
Deleteसस्नेह शुक्रिया।
बेहतरीन रचना श्वेता जी
ReplyDeleteआभारी हूँ अनुराधा जी।
Deleteसादर।
हर मनोकामना पूरी हो
ReplyDeleteसुंदर सृजन
आभारी हूँँ दी..आपका स्नेहाशीष बना रहे सदैव।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर श्वेता !
ReplyDeleteइस नवल विहान की हमारे देश को, हमारे समाज को और खासकर हमारे नेताओं को, बहुत ज़रुरत है.
बहुत आभारी हूँ सर।
Deleteसादर।
बहुत ही सुंदर 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत आभारी हूँ प्रिय नीतू।
Deleteसस्नेह शुक्रिया।
मंगलमयी कामना के साथ बहुत ही लाजवाब नवल विहान....
ReplyDeleteवाह!!!!
आभारी हूँ सुधा जी सादर।
Deleteबहुत सुंदर प्रार्थना Thanks For Sharing
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