Pages

Monday, 4 May 2020

प्रश्न


मन के सतह पर
तैरते अनुत्तरित 
 प्रश्न
महसूस होते हैं
गहरे जुड़े हुये...
किसी 
रहस्यमयमयी
अनजान,
कभी न सूखने वाले
जलस्त्रोत की तरह..,
ऋतु अनुरूप
तरल,विरल
गर्म,ठंडा या बर्फीला
किंतु
अनवरत
रिसते रहते हैं
मन के
सूक्ष्म रंध्रों से....

मन की संवेदना
का स्तर 
इन्हीं प्रश्नों के
बहाव पर
तय किया जाता है न
जाने-अनजाने
रिश्तों में?

#श्वेता सिन्हा

13 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  2. रिसते रहते हैं
    मन के
    सूक्ष्म रंध्रों से....
    मन की गहराइयो में उतरती
    सादर

    ReplyDelete
  3. वाह! गंभीर रचना के माध्यम से मन की गहराई में उलझीं गुत्थियाँ दर्शाने और सुलझाने का सार्थक प्रयास.
    आपकी रचना बहुत सुंदर है दीदी.

    ReplyDelete
  4. वाह! निःशब्द!
    आदरणीया दीदी जी सादर प्रणाम 🙏
    जितनी गहरी उतनी सुंदर पंक्तियाँ।
    और यह सुंदर चित्र!
    यह किसने बनाया है?

    ReplyDelete
  5. आ श्वेता सिन्हा जी, आपने अपनी रचना में मन की गहराई में उतरकर अर्थों की तलाश की है। मैंने उन्हीं पंक्तियों को कुछ इसतरह सजाया है:
    "मन के सतह पर तैरते अनुत्तरित प्रश्न ... रिसते रहते हैं मन के सूक्ष्म रंध्रों से... संवेदना का स्तर इन्हीं प्रश्नों के बहाव पर तय किया जाता है ... बहुत सुन्दर!
    --ब्रजेन्द्र नाथ

    ReplyDelete
  6. वाह!श्वेता ,बहुत सुंदर भाव 👌👌

    ReplyDelete
  7. बिल्कुल सही। वाकई बहुत प्रश्न होते हैं।
    मन को टटोलने वाली रचना। पढकर अच्छा लगा। बढ़िया..

    ReplyDelete
  8. मन की संवेदना
    का स्तर
    इन्हीं प्रश्नों के
    बहाव पर
    तय किया जाता है न
    जाने-अनजाने
    रिश्तों में?
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर... लाजवाब सृजन।

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  10. " प्रश्न " जो हर संवेदनशील हृदय में हलचल उतपन्न करता हैं ,भावपूर्ण सृजन श्वेता जी ,सादर नमस्कार

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर! भावों का गहन मंथन कर सूक्ष्म दृष्टि से किया उम्दा सृजन।

    ReplyDelete
  12. वाह सुन्दर रचना

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।