मन के सतह पर
तैरते अनुत्तरित
प्रश्न
महसूस होते हैं
गहरे जुड़े हुये...
किसी
रहस्यमयमयी
अनजान,
कभी न सूखने वाले
जलस्त्रोत की तरह..,
ऋतु अनुरूप
तरल,विरल
गर्म,ठंडा या बर्फीला
किंतु
अनवरत
रिसते रहते हैं
मन के
सूक्ष्म रंध्रों से....
मन की संवेदना
का स्तर
इन्हीं प्रश्नों के
बहाव पर
तय किया जाता है न
जाने-अनजाने
रिश्तों में?
#श्वेता सिन्हा
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteरिसते रहते हैं
ReplyDeleteमन के
सूक्ष्म रंध्रों से....
मन की गहराइयो में उतरती
सादर
वाह! गंभीर रचना के माध्यम से मन की गहराई में उलझीं गुत्थियाँ दर्शाने और सुलझाने का सार्थक प्रयास.
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत सुंदर है दीदी.
वाह! निःशब्द!
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी सादर प्रणाम 🙏
जितनी गहरी उतनी सुंदर पंक्तियाँ।
और यह सुंदर चित्र!
यह किसने बनाया है?
आ श्वेता सिन्हा जी, आपने अपनी रचना में मन की गहराई में उतरकर अर्थों की तलाश की है। मैंने उन्हीं पंक्तियों को कुछ इसतरह सजाया है:
ReplyDelete"मन के सतह पर तैरते अनुत्तरित प्रश्न ... रिसते रहते हैं मन के सूक्ष्म रंध्रों से... संवेदना का स्तर इन्हीं प्रश्नों के बहाव पर तय किया जाता है ... बहुत सुन्दर!
--ब्रजेन्द्र नाथ
वाह!श्वेता ,बहुत सुंदर भाव 👌👌
ReplyDeleteबिल्कुल सही। वाकई बहुत प्रश्न होते हैं।
ReplyDeleteमन को टटोलने वाली रचना। पढकर अच्छा लगा। बढ़िया..
मन की संवेदना
ReplyDeleteका स्तर
इन्हीं प्रश्नों के
बहाव पर
तय किया जाता है न
जाने-अनजाने
रिश्तों में?
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर... लाजवाब सृजन।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDelete" प्रश्न " जो हर संवेदनशील हृदय में हलचल उतपन्न करता हैं ,भावपूर्ण सृजन श्वेता जी ,सादर नमस्कार
ReplyDeleteveey beautiful
ReplyDeleteबहुत सुंदर! भावों का गहन मंथन कर सूक्ष्म दृष्टि से किया उम्दा सृजन।
ReplyDeleteवाह सुन्दर रचना
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