मन के सतह पर
तैरते अनुत्तरित
प्रश्न
महसूस होते हैं
गहरे जुड़े हुये...
किसी
रहस्यमयमयी
अनजान,
कभी न सूखने वाले
जलस्त्रोत की तरह..,
ऋतु अनुरूप
तरल,विरल
गर्म,ठंडा या बर्फीला
किंतु
अनवरत
रिसते रहते हैं
मन के
सूक्ष्म रंध्रों से....
मन की संवेदना
का स्तर
इन्हीं प्रश्नों के
बहाव पर
तय किया जाता है न
जाने-अनजाने
रिश्तों में?
#श्वेता सिन्हा