गर जीना है स्वाभिमान से
मनोबल अपना विशाल करो
न मौन धरो ओ तेजपुंज
अब गरज उठो हुंकार भरो।
मनोबल अपना विशाल करो
न मौन धरो ओ तेजपुंज
अब गरज उठो हुंकार भरो।
बाधाओं से घबराना कैसा?
बिन लड़े ही मर जाना कैसा?
तुम मोम नहीं फौलाद बनो
जो भस्म करे वो आग बनो
अपने अधिकारों की रक्षा का
उद्धोष करो प्रतिकार करो।
विचार नभ पर कल्पनाओं के
इंद्रधनुष टाँकना ही पर्याप्त नहीं,
सत्ता,संपदा,धर्म-जाति अस्वीकारो
मानवीय मूल्य सर्वव्याप्त करो।
माना कि बेड़ी में जकड़े हो
तुम नीति-नियम को पकड़े हो,
तुम्हें पत्थर में दूब जमाना है
बंजर में हरियाली लाना है,
आँखें खोलो अब जागो तुम
सब देखे स्वप्न साकार करो।
तुम रचयिता स्वस्थ समाज के
खोलो पिंजरे, परवाज़ दो,
दावानल बनो न विनाश करो
बन दीप जलो और तमस हरो।
आवाहन का तुम गान बनो
बाजू में प्रचंड तूफान भरो
हे युवा! हो तुम कर्मवीर
बाजू में प्रचंड तूफान भरो
हे युवा! हो तुम कर्मवीर
तरकश में कस लो शौर्य धीर
अब लक्ष्य भेदना ही होगा
योद्धा हो आर या पार करो
अब लक्ष्य भेदना ही होगा
योद्धा हो आर या पार करो
-श्वेता सिन्हा
१२ जनवरी २०२२
ओजस्वी प्रवहमयता नि:संदेह चमत्कृत कर रही है । जय हो ।
ReplyDeleteप्रिय श्वेता , युवाओं का मार्ग प्रशस्त करता एक ओज भरा सृजन निसंदेह सराहना से परे है |स्वामी विवेकानंद युवाओं के अमर आदर्श पुरुष हैं | आज के युवा आलस , संदेह और अवसाद से घिरे हुए स्वामी विवेकानन्द जी के अमर आदर्शों से कोसों दूर हैं | वे अपने अस्तित्व की महिमा भूलकर चरित्रहीनता के कगार पर है |उन्हें अपनी आंतरिक शक्तियों का भान नहीं रहा | युवा देश के भावी कर्णधार और गौरव दोनों हैं |उन्हें अपने संस्कारी , मानवतावादी और कर्मठता के धनी आदर्श पुरुषों के पथ का अनुशरण करना ही होगा | अनमोल भावों को उकेरती एक सार्थक रचना के लिए साधुवाद और शुभकामनाएं|
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 13 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत उम्दा रचना, युवाओं मे एक नयी जोश जगा देने वाली रचना के लिए आपको कोटि कोटि प्रणाम 🙏
ReplyDeleteदावानल बनो न विनाश करो, बन दीप जलो और तमस हरो। सच कहा आपने। यही उचित दृष्टिकोण है युवा वर्ग हेतु जिसका संदेश सवा सौ वर्ष पूर्व विवेकानंद जी ने दिया था। अभिनन्दन आपका श्वेता जी।
ReplyDeleteशानदार रचना..
ReplyDeleteआवाहन का तुम गान बनो
बाजू में प्रचंड तूफान भरो
हे युवा! हो तुम कर्मवीर
तरकश में कस लो शौर्य धीर
अब लक्ष्य भेदना ही होगा
योद्धा हो आर या पार करो
जबरदस्त आव्हान..
सादर..
बेहतरीन रचना प्रिय श्वेता जी संदेशप्रद सार्थक और आह्वान करती हुई।आपको लोहड़ी एवं मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteरचना में अंतर्निहित भाव युवा वर्ग को उनकी असीमित क्षमता से परिचित करवा रही है।
ReplyDeleteस्वामी जी के विचार और दिनकर जी की कविताओं जैसा आलोक है इस सृजन में ।
अभिनव अनुपम सृजन प्रिय श्वेता।
सस्नेह साधुवाद।
युवा दिवस की सभी विद्वतजनों को ढेरों बधाइयाँ
ReplyDeleteतुम मोम नहीं फौलाद बनो
ReplyDeleteजो भस्म करे वो आग बनो
अपने अधिकारों की रक्षा का
उद्धोष करो प्रतिकार करो।
वाह ! युवामन को प्रेरित करती जोश और शक्ति से भरी पंक्तियाँ, स्वामी विवेकानंद के विचारों को कितने समुचित शब्दों में पिरोया है आपने
गर जीना है स्वाभिमान से
ReplyDeleteमनोबल अपना विशाल करो
न मौन धरो ओ तेजपुंज
अब गरज उठो हुंकार भरो।
लाजवाब
माना कि बेड़ी में जकड़े हो
ReplyDeleteतुम नीति-नियम को पकड़े हो,
तुम्हें पत्थर में दूब जमाना है
बंजर में हरियाली लाना है,
आँखें खोलो अब जागो तुम
सब देखे स्वप्न साकार करो।
... सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती सुंदर रचना ।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteयुवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है ये रचना । जैसे कि तुमने ही हुंकार भर डाली है ।
ReplyDeleteसच है युवा ही स्वस्थ समाज की नींव डाल सकते हैं ।
बहुत सुंदर रचना ।
बाधाओं से घबराना कैसा?
ReplyDeleteबिन लड़े ही मर जाना कैसा?
तुम मोम नहीं फौलाद बनो
जो भस्म करे वो आग बनो
अपने अधिकारों की रक्षा का
उद्धोष करो प्रतिकार करो।
बहुत ही प्रेरक एवं ऊर्जित करता लाजवाब सृजन
वाह!!!