साँझ के बाग में खिलने लगीं
काली गुलाब-सी रातें।
चाँदनी के वरक़ में लिपटी
मौन शरद की बातें।
काली गुलाब-सी रातें।
चाँदनी के वरक़ में लिपटी
मौन शरद की बातें।
चाँद का रंग छूटा
चढ़ी स्वप्नों पर कलई,
हवाओं की छुअन से
सिहरी शिउली की डलई,
सप्तपर्णी के गुच्छों पर झुके
बेसुध तारों की पाँतें।
साँझ के बाग में खिलने लगीं
काली गुलाब-सी रातें।
झुंड श्वेत बादलों के
निकले सैर पर उमगते,
इंद्रधनुषी स्वप्न रातभर
क्यारी में नींद की फुनगते,
पहाडों से उतरकर हवाएँ
करने लगी गुलाबी मुलाकातें।
साँझ के बाग में खिलने लगीं
काली गुलाब-सी रातें।
शरद है वैभव विलास
ज़रदोज़ी सौंदर्य का,
सुगंधित शीतल मंद बयार
रस,आनंद माधुर्य-सा,
प्रकृति करती न्योछावर
अंजुरी भर-भर सौगातें।
साँझ के बाग में खिलने लगीं
काली गुलाब-सी रातें।
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१२ अक्टूबर २०२२
क्या बात है प्रिय श्वेता! चाँदनी रात के सौंदर्य को कोई भी शब्दों में सहजता से उतार ले पर सघन श्यामवर्णी रात्रि को लिखना सरल नहीं।इसकी सुन्दरता को देखने के लिए सूक्ष्म दृष्टि का होना अनिवार्य।शरद के आगमन का ये सुन्दर शब्दचित्र में रात्रि का अभिराम दृश्य सजा है! ये मौसम अपने साथ अनेक उपहार लेकर आता है।चन्द्र विहीन रात्रि का अपना सुकून है।बहुत दिनों बाद तुम्हारी भावपूर्ण रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा। अपने लेखन को पुन गति दो।अपनी कल्पना और अभिव्यक्ति के द्वार बंद मत करो।हार्दिक स्नेह और शुभकामनाएं प्।
ReplyDeleteप्रिय दी,
Deleteआपकी इस त्वरित सराहना से भरी प्रतिक्रिया के लिए कैसे आभार कहूँ समझ नहीं आ रहा।
इतनी सरल अभिव्यक्ति पर आपकी इतनी सुंदर प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ।
अपना स्नेह बनाये रखिये दी।
सादर स्नेह।
झुंड श्वेत बादलों के
ReplyDeleteनिकले सैर पर उमगते,
इंद्रधनुषी स्वप्न रातभर
क्यारी में नींद की फुनगते,
पहाडों से उतरकर हवाएँ
करने लगी गुलाबी मुलाकातें।
साँझ के बाग में खिलने लगीं
काली गुलाब-सी रातें।///
👌👌👌👌♥️🌹🌹♥️
सस्नेह आभारी हूँ दी।
Deleteप्रकृति को पहचाना जाता है उसके रूप से,उसके मौलिक सौंदर्य से और उसकी सुगंध भरी हवाओं से लेकिन इस प्रकृति में अमावस और पूनम का भी अपना महत्व होता है साथ ही शरद का चांद प्रकृति की छटा को और भी सुंदरता से बिखेर देता है.
ReplyDeleteयह नवगीत प्रकृति की खूबसूरती का चित्रण है
कमाल के बिम्ब और प्रतीक
अद्भुत नवगीत सृजन के लिए
हार्दिक बधाई
शरद का मनोहारी वर्णन । काला गुलाब यूँ कम ही देखने को मिलता है उससे बिम्ब ले कर रात का खूबसूरत चित्रण किया है । सुंदर सृजन जिसे जितनी बार भी पढ़ो कम है ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.10.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4580 में दी जाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबाग
वाह! प्रकृति के सौंदर्य का इतना सजीव वर्णन!!
ReplyDelete"साँझ के बाग में खिलने लगीं
ReplyDeleteकाली गुलाब-सी रातें।"
अहा!! सौंदर्य बोध छायावाद सा सुंदर अभिनव ,अभिराम श्वेता मंत्रमुग्ध करता काव्य आपकी लेखनी से चांदनी के वैभव सा अलंकृत होकर सरस गति से बह निकला है।
अद्भुत निशब्द।
बहुत ही सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteस्वेता दी, काली रातों का भी कोई इतना सुंदर वर्णन कर सकता है? ये आपकी कलाम का ही जादू है। बहुत सुंदर रचना दी।
ReplyDeleteसाँझ के बाग में खिलने लगीं
ReplyDeleteकाली गुलाब-सी रातें।
चाँदनी के वरक़ में लिपटी
मौन शरद की बातें।
काले गुलाब सी दुर्लभ भावाभिव्यक्ति.., मनमोहक !! उत्कृष्ट सृजनात्मकता ।
सुन्दर रचना । दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ l
ReplyDeleteचाँद का रंग छूटा
ReplyDeleteचढ़ी स्वप्नों पर कलई,
हवाओं की छुअन से
सिहरी शिउली की डलई,
सप्तपर्णी के गुच्छों पर झुके
बेसुध तारों की पाँतें।
साँझ के बाग में खिलने लगीं
काली गुलाब-सी रातें।
बहुत ही अद्भुत काली गुलाब सी रातें !
वाह!!!
सुंदर बिम्ब मनमोहक शब्दसौष्ठव
लाजवाब।
वाह कितनी मादक और मोहक अभिव्यक्ति🌹🌹
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना
ReplyDeleteकाली गुलाब सी रातें...मौन शरद की बातें... प्रकृति की, शरद की रातों का सजीव चित्रण इससे अच्छा नहीं हो सकता!!
ReplyDeleteलाजवाब लेखन श्वेता जी❣️
काले गुलाब सी रात।
ReplyDeleteमौन शरद की बात ।
खूबसूरत परिदृश्य का सूक्ष्मावलोकन । बेहतरीन अभिव्यक्ति सखी ।
शुभकामनाएं नववर्ष की
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता. बधाई और हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteशरद ऋतू का लाजवाब, सुन्दर और अनोखा शब्द विन्यास ... कमाल की रछा है जो शरद के इशारे बयाँ कर रही है ...
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