नयी तिथियों की उँगली थामे
समय की अज्ञात यात्रा पर चलना चाहती हूँ।
समय की अज्ञात यात्रा पर चलना चाहती हूँ।
इस बरस का हर दिन
खुशियों की पोटली से बदलना चाहती हूँ।
मैं बदलना चाहती हूँ
समय की चाल,
ताकि मिटा सकूँ सारे दुःख
जो मिट न सके,
जिद पर अड़े बच्चों की तरह
चलने को साथ हो आतुर,
उन दुःखों को लिए मुस्कुराहटों की
वादियों में निकलना चाहती हूँ।
मैं हरना चाहती हूँ
मन की व्यथित अनुभूतियाँ,
पीड़ा,दुर्घटना और संताप
हृदयों के सारे पछतावे और दिखावे;
चिंताओं के दीमक चाटकर
मतभेदों के पुल पाटकर;
कड़वाहटों की परपराहटों पर,
हर एक घाव पर चंदन मलना चाहती हूँ।
जन्म से मृत्यु तक
दिवस हर दिन नया है;
वर्तमान और भविष्य का हरक्षण
अंतिम नहीं है दिशाओं में खड़ा है
सूर्य, चंद्र,,सितारों , ग्रह-नक्षत्रों से
मंत्र-यंत्र, सूक्तियों और ऋचाओं में
नित करूँ प्रार्थनाएँ और दुआएँ
जीवन की जीवट,खुरदरी गाँठों में
सुख,आशा और प्रीत का रस भरना चाहती हूँ ।
इस बरस का हर दिन
खुशियों की पोटली से बदलना चाहती हूँ।
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#श्वेता
१ जनवरी २०२४
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प्रिय श्वेता, उस बरस इस बरस की यात्रा का शुभारंभ हो चुका बदलतेकलैंडरकेसाथ! अनगिनत उम्मीदें भीतर करवट लेने लगती हैं!एक सद्भावनाओ से भरे उदार नारी मन की उदात्त कामनाओं को बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति मिली है तुम्हारी लेखनी के माध्यम से! सूक्ष्म मानवीय मूल्यों को जो जीता है उसके हर क्रिया-कलाप में दूसरों के हित की कामना भरी होती है! तुम्हारे शब्द हृदयस्पर्शी और भाव बहुत ऊँचे हैं! हर व्यक्ति की यही कामना और प्रयास होना चाहिए! नव वर्ष में तुम्हारी लेखनी यशस्वी और स्वास्थ्य उत्तम रहे,सपरिवार सानंद और सकुशल रहो, यही दुआ करती हूँ! अपने लेखन को तुम सुचारू रूप से चलाती रहोगी यही आशा करती हूँ,!सदा खुश रहो !❤️❤️🌹🌹
ReplyDeleteमैं हरना चाहती हूँ
ReplyDeleteमन की व्यथित अनुभूतियाँ
पीड़ा,दुर्घटना और संताप
हृदयों के सारे पछतावे और दिखावे
चिंताओं के दीमक चाटकर
मतभेदों के पुल पाटकर
कड़वाहटों की परपराहटों पर,
हर एक घाव पर चंदन मलना चाहती हूँ।
सुंदर रचना
आभार
आमीन | मंगलकामनाएं |
ReplyDeleteसुख,आशा और प्रीत का रस भरना चाहती हूँ ।
ReplyDeleteइस बरस का हर दिन
खुशियों की पोटली से बदलना चाहती हूँ।
बहुत ही सुंदर भावनाओं से सुसज्जित अति मनभावन सृजन
आपको और आपके पुरे परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें श्वेता जी
सूर्य, चंद्र,,सितारों , ग्रह-नक्षत्रों से
ReplyDeleteमंत्र-यंत्र, सूक्तियों और ऋचाओं में
नित करूँ प्रार्थनाएँ और दुआएँ
जीवन की जीवट,खुरदरी गाँठों में
सुख,आशा और प्रीत का रस भरना चाहती हूँ ।
आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो …,बहुत सुन्दर मनोभाव लिए अति सुन्दर सृजन । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐 सस्नेह…!
जीवन की जीवट,खुरदरी गाँठों में
ReplyDeleteसुख,आशा और प्रीत का रस भरना चाहती हूँ ।
इस बरस का हर दिन
खुशियों की पोटली से बदलना चाहती हूँ।
वाह !! कितनी अभिनव प्रार्थना, यह अवश्य पूर्ण हो, नये वर्ष के लिए शुभकामनाएँ प्रिय श्वेता जी!
आमीन !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 3 जनवरी 2024को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
मैं हरना चाहती हूँ
ReplyDeleteमन की व्यथित अनुभूतियाँ,
पीड़ा,दुर्घटना और संताप
हृदयों के सारे पछतावे और दिखावे;
चिंताओं के दीमक चाटकर
मतभेदों के पुल पाटकर;
कड़वाहटों की परपराहटों पर,
हर एक घाव पर चंदन मलना चाहती हूँ।
भगवान करे , संकल्प सिद्ध हो ..
और बिना किसी चमत्कार की उम्मीद लिए यदि हर मन स्वयं से ऐसे भाव लिए खुशियों की पोटली बदले तो चमत्कार होकर भी होकर रहेंगे ।
अति सुंदर भावों से सजी लाजवाब कृति ।
सुंदर प्रस्तुति, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteशुभकामनायें
ReplyDeleteआदरणीया मैम, सादर चरण स्पर्श । आज बड़े दिनों बाद ब्लॉग जगत पर वापसी किया। आपकी यह सुंदर, कोमल समवेदनाओं से भरी हुई रचना पढ़ कर आनंदित हूँ । नव -वर्ष पर बहुत ही निर्मल और कोमल कामनायें जो हम सब को अपने भीतर और बाहर आनंद फैलाने की प्रेरणा देती है । इतनी सुंदर रचना पढ़ाने के लिए आपका हार्दिक आभार । इस से सुंदर नव- वर्ष संकल्प तो और कुछ हो ही नहीं सकता ।
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