मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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अजीर्णता नदियों की...प्रकृति कविता
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Wednesday, 8 August 2018
अजीर्णता नदियों की
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देखते-देखते जलधारा ने लिया रुप विकराल लील गयी पग-पग धरती का जकड़ा काल कराल तट की चट्टानों से टकरा विदीर्ण जीवन पोत हुआ...
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