मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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अतुकांत कविता
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Friday, 5 January 2018
आज फिर.....
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आज फिर किरिचियाँ ज़िंदगी की तन्हाई में भर गयीं। कुछ अधूरी ख़्वाहिशों की छुअन से चाहतें सिहर गयीं।। लाख़ कोशिशों के बावजूद तुम ख़...
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