मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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अब शाम होने को है....याद कविता
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Friday, 24 March 2017
अब शाम होने को है
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अब शाम होने को है ----------------- आसमां के कोर गुलाबी होने लगे अब शाम होने को है। हवाओं ने झुरमुटों को सहलाया अब शाम होने को है। ...
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