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Friday, 24 March 2017

अब शाम होने को है

अब शाम होने को है
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आसमां के कोर गुलाबी होने लगे
अब शाम होने को है।
हवाओं ने झुरमुटों को सहलाया
अब शाम होने को है।

बढ़ने लगी आसमां की तन्हाईयाँ
फिजांं में खामोशियों का रंग चढ़ा
बेआवाज़ लौटने लगे परिंदें भी अब
थके सूरज की किरणें कहने लगी
अब शाम होने को है।

मन के मुंडेर पर आ बैठे खामोश ख्याल
जेहन में आहटों का शोर बढ़ने लगा
क्षितिज के स्याह बादल का टुकड़ा
नम पलकों में ठिकाना ढूँढने लगा
अब शाम होने को है।

दिनभर के शोरगुल से भागकर चुपचाप
शाम की तन्हाई में ख्वाबों के जीने चढ़कर
कसकर मेरे आगोश में लिपटने लगी
तुम हो कही मुझमें ही याद बताने लगी
अब शाम होने को है।

                #श्वेता🍁



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