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Friday, 24 March 2017

तेरा ख्याल

घोलकर तेरे एहसास जेहन की वादियों में,
मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर।

तेरा ख्याल धड़कनों की ताल पर गूँजता है,
गुनगुनाते हो साँसों में जीवन रागिनी बनकर।

तन्हाई के आगोश में लिपटी रिमझिम यादें,
भींगो जाती है कोना कोना मन के आँगन का।

खामोशियों में फैलती तेरी बातों की खुशबू,
महक जाते है जज़्बात तुम्हें महसूस करके।

जबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने,
कोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में।


         #श्वेता🍁




4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हृदयतल से अति आभारी हूँ आदरणीय सर।

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  2. जबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने,
    कोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में।
    वाह!!!
    बहुत खूबसूरत ....

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  3. जबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने,
    कोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में।!!!!!!!
    -- सचमुच बड़ी ही रेशनी चाहत है श्वेता बहन |
    बहुत सुंदर रचना !!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।