मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 6 September 2017
घोलकर तेरे एहसास
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अश्आर ----- घोलकर तेरे एहसास जेहन की वादियों में मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर तेरा ख्याल धड़कनों की ताल पर गूँजता...
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Friday, 26 May 2017
समेटे कैसे
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सुर्ख गुलाब की खुशबू,हथेलियों में समेटे कैसे झर रही है ख्वाहिशे संदीली,दामन में समेटे कैसे गुज़र जाते हो ज़ेहन की गली से बन ख्याल आवारा ...
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Wednesday, 3 May 2017
भावों में बहना छोड़ दे
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पत्थरों के शहर में रहना है गर आईना बनने का सपना छोड़ दे बदल गये है काँटों के मायने अब साथ फूलों के तू खिलना छोड़ दे या खुदा दिल बना प...
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