मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
आँखें
.
Show all posts
Showing posts with label
आँखें
.
Show all posts
Friday, 28 July 2017
आँखें
›
तुम हो मेरे बता गयी आँखें चुप रहके भी जता गयी आँखें छू गयी किस मासूम अदा से मोम बना पिघला गयी आँखें रात के ख्वाब से हासिल लाली लब ...
8 comments:
›
Home
View web version