मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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आँख़ के आँसू छुपाकर.....सामाजिक कविता
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Wednesday, 4 October 2017
आँख के आँसू छुपाकर
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आँख के आँसू छुपाकर मीठी नदी की धार लिखना, घोंटकर के रूदन कंठ में खुशियों का ही सार लिखना। सूखते सपनों के बिचड़े रोपकर मुस्क...
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