मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Tuesday, 14 August 2018
आज़ादी
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अभी मैं कैसे जश्न मनाऊँ,कहाँ आज़ादी पूरी है, शब्द स्वप्न है बड़ा सुखद, सच को जीना मजबूरी है। आज़ादी यह बेशकीमती, भेंट किया हमें वीरों ने...
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