मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
उद्देश्य.... दार्शनिक कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
उद्देश्य.... दार्शनिक कविता
.
Show all posts
Sunday, 3 March 2019
उद्देश्य
›
पूछती हूँ काल के चक्रों को छू है जन्म क्यों और जन्म का उद्देश्य क्या? हूँ खिलौना ईश का तन का बदलता रुप मैं आना-जाना पल ...
9 comments:
›
Home
View web version