मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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उम्मीदें...अतुकांत कविता
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Wednesday, 6 March 2019
उम्मीदें
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ऐ दिल, यही ज़िंदगी है समझ ले भरम हैं ख़्वाब, सच है टूटती उम्मीदें छू भी नहीं पाते, जमीं के जलते पाँव, दरख़्तों से साय...
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