मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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उम्र की हथेलियों से......नज़्म
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Monday, 9 October 2017
उम्र की हथेलियों से
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नज़्म ख़्वाहिशों के बोझ से दबी ज़िदगी की सीली मुट्ठियों में बंद तुड़े-मुड़े परों की सतरंगी तितलियाँ अक्सर कुलबुलाती हैंं...
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