मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 26 January 2019
एक त्योहार
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(१) सत्तर वर्षों से ठिठुरता गणतंत्र पदचापों की गरमाहट से जागकर कोहरे में लिपटा राजपथ पर कुनमुनाता है। गवाह प्राची...
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