मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
एक नया सवेरा......लयबद्ध कविता
.
Show all posts
Showing posts with label
एक नया सवेरा......लयबद्ध कविता
.
Show all posts
Friday, 17 March 2017
एक नया सवेरा
›
नीले समन्दर में सूरज का डेरा फिर हो गया है हसींं इक सवेरा बुझ गया चंदा बुझ गये दीपक रात तक रुक गया ख़्वाबों का फेरा मोड़कर सिरहाने...
3 comments:
›
Home
View web version