मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 10 February 2022
एकमात्र विकल्प
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रश्मि पुंज निस्तेज है मुखौटों का तेज है सुन सको तो सुनो चेहरा पढ़ने में असमर्थ आँखों का मूक आर्तनाद। झुलस रही है तिथियाँ श्रद्धांजलि रीत...
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