मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
Pages
(Move to ...)
Home
प्रकृति की कविताएं
दार्शनिकता
छंदयुक्त कविताएँ
प्रेम कविताएँ
स्त्री विमर्श
सामाजिक कविता
▼
Showing posts with label
एकांत का उत्सव....प्रेम कविता..
.
Show all posts
Showing posts with label
एकांत का उत्सव....प्रेम कविता..
.
Show all posts
Monday, 25 June 2018
एकांत का उत्सव
›
नभ के दालान से पहाड़ी के कोहान पर फिसलकर क्षितिज की बाहों में समाता सिंदुरिया सूरज, किरणों के गुलाबी गुच्छे टकटकी बाँधें पेड़...
21 comments:
›
Home
View web version