मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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किसी साँझ के किनारे.....अतुकांत कविता
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Tuesday, 12 December 2017
किसी साँझ के किनारे
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किसी साँझ के किनारे पलकें मूँदती हौले से, आसमां से उतरकर पेडों से शाखों से होकर पत्तों का नोकों से फिसलकर, ख़ामोश झील के ...
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