मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 26 April 2017
कुछ पल तुम्हारे साथ
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मीलों तक फैले निर्जन वन में पलाश के गंधहीन फूल मन के आँगन में सजाये, भरती आँचल में हरसिंगार, अपने साँसों की बातें सुनती धूप को सुखात...
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