मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 2 June 2018
कौन सा रूप तुम्हारा?
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लिलार से टपकती पसीने की बूँद अस्त-व्यस्त बँधे केश का जूड़ा हल्दी-तेल की छींटे से रंगा हरा बाँधनी कुरता एक हाथ में कलछी और द...
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