मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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क्या हुआ पता नहीं.....अतुकांत कविता
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Monday, 11 December 2017
क्या हुआ पता नहीं
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क्यों ख़्यालों से कभी ख़्याल तुम्हारा जुदा नहीं, बिन छुये एहसास जगाते हो मौजूदगी तेरी लम्हों में, पाक बंदगी में दिल की तुम ...
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