मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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खेल उल्फ़त का....तुकांत रचना
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Thursday, 10 May 2018
जफ़ा-ए-उल्फ़त
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पूछो न बिना तुम्हारे कैसे सुबह से शाम हुई पी-पीकर जाम यादों के ज़िंदगी नीलाम हुई दर्द से लबरेज़ हुआ ज़र्रा-ज़र्रा दिल का लड़खड़ाती हर ...
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