मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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गहरा रंग.....अतुकांत कविता
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Sunday, 30 September 2018
गहरा रंग
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उँघती भोर में चिड़ियों के कलरव के साथ आँखें मिचमिचाती ,अलसाती चाय की महक में घुली किरणों की सोंधी छुअन पत्तों ,फूलों,दूबों पर...
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