मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 1 July 2017
मैं तुमसे मिलने आऊँगी
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हरपल मुझको महसूस करो मैं तुमसे मिलने आऊँगी भोर लाली के रंग चुरा पलकों पे तेरे सजाऊँगी तुम मीठे से मुस्काओगे प्रथम रश्मि की गरमाहट ...
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Wednesday, 10 May 2017
कभी यूँ भी तो हो
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कभी यूँ भी तो हो.... साँझ की मुँडेर पे चुपचाप तेरे गीत गुनगुनाते हुए बंद कर पलको की चिलमन को एहसास की चादर ओढ़ तेरे ख्याल में खो जाय...
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