मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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चमड़ी के रंग#नस्ल भेद#...छंदमुक्त सामाजिक कविता
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Monday, 11 January 2021
चमड़ी के रंग
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पूछना है अंतर्मन से चमड़ी के रंग के लिए निर्धारित मापदंड का शाब्दिक विरोधी हैंं हम भी शायद ...? आँखों के नाखून से चमड़ी खुरचने के बाद बहती चि...
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