मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 28 January 2021
चश्मे... मतिभ्रम
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उड़ती गर्द में दृश्यों को साफ देखने की चाहत में चढ़ाये चश्मों से अपवर्तित होकर बनने वाले परिदृश्य अब समझ में नहीं आते तस्वीरें धुंधली हो चली...
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