मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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जूझना होगा... छंदमुक्त रचना# सकारात्मकता
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Sunday, 4 July 2021
जूझना होगा
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ख़ त्म हो रही आशाओं से ठहरने की विनती करना व्यर्थ है, उन्हें रोकने के लिए जूझना होगा नैराश्य से आशा को निराशा के जबड़े से खींचते समय उसकी नुकी...
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