मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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तमाशा...सामाजिक कविता..तुकांत
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Saturday, 18 April 2020
तमाशा
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भूख के नाम पर, हर दिन तमाशा देखिये। पेट की लकीरों का चीथड़ी तकदीरों का, दानवीरों की तहरीरों में शब्दों का शनाशा देखिये। ...
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