मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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तुम ही कहो...छंदमुक्त कविता
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तुम ही कहो...छंदमुक्त कविता
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Thursday, 7 February 2019
तुम ही कहो
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हाँ ,तुम सही कह रहे हो फिर वही घिसे-पिटे प्रेमाव्यक्ति के लिए प्रयुक्त अलंकार,उपमान,शब्द शायद शब्दकोश सीमित है; प्रेम के लिये...
18 comments:
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