मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 26 March 2017
तुम्हारा एहसास
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खामोशियों में भी दूरियों में भी कुछ तड़पता है कुछ कसकता है वो न हो कही भी फिर भी हर साँस के साथ उनको महसूस करते है जैसे महसूस होती...
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