मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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तुम....तुकांत नज़्म
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तुम....तुकांत नज़्म
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Friday, 3 May 2019
तुम
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चुप रहूँ तो शायद दिल तेरा ख़ुशलिबास हो दुआ हर लम्हा,खुश रहे तू न कभी उदास हो तुम बिन जू-ए-बेकरार,हर सिम्त तलब तेरी करार आता नह...
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