मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Monday, 13 November 2017
किन धागों से सी लूँ बोलो
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मैं कौन ख़ुशी जी लूँ बोलो। किन अश्क़ो को पी लूँ बोलो। बिखरी लम्हों की तुरपन को किन धागों से सी लूँ बोलो। पलपल हरपल इन श्वासों से...
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Wednesday, 15 March 2017
टूटा ख्वाब
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तेरी निगाहों के नूर से दिल मेरा मगरूर था भरम टूटा तो जाना ये दो पल का सुरूर था परिंदा दिल का तेरी ख्वाहिश में मचलता रहा नादां न समझ प...
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