मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 15 August 2021
प्रणाम...(शहीदों को )
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करती हूँ प्रणाम उनको,शीश नत सम्मान में है, प्राण दे,इतिहास के पृष्ठों में अंकित हो गये जिनकी लहू की बूँद से माँ धरा पावन हुई माटी बिछौना ओढ़ ...
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Tuesday, 15 August 2017
उड़े तिरंगा शान से
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उन्मुक्त गगन के भाल पर उड़े तिरंगा शान से कहे कहानी आज़ादी की लहराये सम्मान से रक्त से सींच रहे नित जिसे देकर अपने बहुमूल्य प्राण रख...
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Sunday, 13 August 2017
तुम एक भारतवासी हो
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*चित्र साभार गूगल* किसी जाति धर्म के हो किसी राज्य के वासी हो कभी न भूलो याद रखो तुम एक भारतवासी हो खेत हमारी अन्नपूर्णा जीवन हरा ...
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Tuesday, 11 July 2017
रक्तपिपासु
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क्यूँ झकझोरती नहीं आत्मा रक्त पिपासु बन बैठे है क्यूँ हृदयविहीन है इंसां ये कैसा जेहाद बता न किस धर्म में लिखा है घात बता रक्त सने ...
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Tuesday, 2 May 2017
शहीदों के लिए
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कडी़ निंदा करने का अच्छा दस्तूर हो गया कब समझोगे फिर से बेटा माँ से दूर हो गया रोती बेवाओं का दर्द कोई न जान पाया और वो पत्थरबाज देश ...
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