मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 2 September 2017
देहरी
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चित्र- साभार गूगल तन और मन की देहरी के बीच भावों के उफनते अथाह उद्वेगों के ज्वार सिर पटकते रहते है। देहरी पर खड़ा अपनी मनचाही इ...
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