मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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धरती....छंदमुक्त कविता
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Tuesday, 23 April 2019
धरती
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हरी-भरी,फलती-फूलती गर्भिणी धरती की उर्वर कोख़ उजाड़कर बंजर नींव में रोप रहे हम भावी पीढ़ियों के लिए रेतीला भविष्य। नभ से ...
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