मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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नवल विहान....छंदमुक्त कविता
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Friday, 3 January 2020
नवल विहान
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सुनो! हे सृष्टि के अदृश्य भगवान अरजी मेरी,कामना तुच्छ तू मान अस्तित्वहीन चिरनिद्रा में सो जाऊँ जागूँ धरा पर बनकर नवल विहान ...
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