मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 31 December 2017
नववर्ष
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रात की बोझिल उदासी को किरणों की मुस्कान से खोलता शीत का दुशाला ओढ़े क्षितिज के झरोखे से झाँकता बादलों के पंख पर उड़कर हौले-हौले ...
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