मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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पल दो पल में....ग़ज़ल
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Wednesday, 4 July 2018
पल दो पल में
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पल दो पल में ही ज़िदगी बदल जाती है। ख़ुशी हथेली पर बर्फ़-सी पिघल जाती है।। उम्र वक़्त की किताब थामे प्रश्न पूछती है, जख़्म चुनते ये ...
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